वानस्पतिक नाम – Punica granatum
कुल – Punicaceae
उत्पति – ईरान
गुणसूत्र संख्या – 2n=18 (Basic number-9 or 8)
पुष्पक्रम- हाइपेन्थोडियम (Hypanthodium)
फल प्रकार – बलौस्टा (Balausta)
खाने वाला भाग– रसदार बीज कोट (Juicy seed coat)
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महत्वपूर्ण बिन्दु
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दारू (Daru) – जंगली प्रकार (Wild type)
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अधिकतम क्षेत्रफल एवं उत्पादन महाराष्ट्र (क्षेत्रफल 91 हजार हेक्टेयर एवं उत्पादन 1789 हजार मीट्रिक टन)।
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उच्चतम उत्पादकता – तमिलनाडु।
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NHB डाटाबेस 2018 के अनुसार अनार का रकबा और उत्पादन क्रमश: 234 हजार हेक्टेयर और 2845 हजार मीट्रिक टन है।
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नॉन क्लाइमेक्टेरिक फल वृक्ष है।
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हवा (एनेमोफिलस) द्वारा परागित।
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मिश्रित पुष्पन की आदत।
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मृग बहार के मौसम में फलों के फटने की समस्या अधिक होती हैं।
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भारत में मल्टी-स्टेम ट्रैनिंग सिस्टम का उपयोग किया जाता है।
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अत्यधिक सूखा सहिष्णु।
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अनार का रस कुष्ठ (leprosy) रोगियों के लिए उपयोगी होता है।
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फलों को बटर पेपर बैग से ढकना फलों को अनार बटरफ्लाई (Vrichola isocrates) से होने वाले नुकसान से बचाता है।
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ग्रीष्मकालीन फसल की अधिकतम मांग होती है।
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जुलाई – अगस्त उष्ण कटिबंध क्षेत्रों में रोपण के लिए आदर्श समय होता है।
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NRC – अनार – सोलापुर (MH)
किस्में
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पेपर शेलेड
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मस्कती रेड
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स्पेनिश रूबी
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आलंदी
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कराडी
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मस्कट
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मधुगिरी
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बेसिन सीडलेस
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ढोलका
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जालोर सीडलेस
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चावला
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नाभा
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कन्ट्री लार्ज रेड।
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गणेश (GB1) – अलंदी से चयन, महाराष्ट्र में लोकप्रिय, डॉ. जी.एस. चीमा द्वारा विकसित
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G-137, G-107, – गणेश से क्लोनल चयन।
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P-26, P-16, P-13 – मस्कट से क्लोनल चयन
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अराकता
Hybrid
मृदुला-गणेश x गुल-ए-शाह रेड
ज्योति – बेसिन सीडलेस x ढोलका
रूबी – गणेश x काबुल x यरकार्ड
अमलिडाना – गणेश x नन्हा, बौनी, TSS 12.60 ब्रिक्स (IIHR)
कोमल बीज वाली किस्में – ज्योत, गणेश, बसिन सीडलेस, पेपर शेल
कठोर बीज वाली किस्में – कंधारी, आलंदी
जलवायु
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उष्णकटिबंधीय पौधा है और 2000 मीटर की ऊंचाई तक उगता है।
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गर्म और शुष्क जलवायु फलों की गुणवत्ता में वृद्धि करती है।
मृदा
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दोमट या जलोढ़ (alluvial) मिट्टी सबसे अच्छी होती है
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थोड़ी क्षारीय और चूना युक्त मिट्टी में भी खेती की जा सकती है।
प्रवर्धन
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अनार व्यवसायिक रूप से एयर लेयरिंग और हार्ड वुड कटिंग द्वारा प्रवर्धित किया जाता है।
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उत्तर भारत में वसंत ऋतु में और दक्षिण भारत में मानसून में कलम तैयार की जाती है।
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बरसात के मौसम में एयर लेयरिंग की जाती है।
रोपण
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मानसून की शुरुआत से पहले 60 से 75 सेमी के गड्ढे 4X4m, 3X2.5m या 4X2m की दूरी पर खोदे जाते है।
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अनार की बुवाई का सबसे अच्छा समय मानसून का मौसम होता है
खाद और उर्वरक
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FYM – 20 किग्रा / पौधा
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240:160:60 ग्राम /पौधा N:P:K
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उर्वरकों का प्रयोग
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- अम्बे बहार- दिसंबर-जनवरी
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मृग बहार- मई-जून
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हस्त बहार- अक्टूबर-नवंबर।
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सिंचाई
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फलने के समय में हल्की और नियमित सिंचाई करें।
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मानसून की शुरुआत तक 10-12 दिनों के अंतराल पर सिंचाई की आवश्यकता होती है।
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अनार खारे पानी (500-1000 पीपीएम) को सहन कर सकता है।
इंटरकल्चर और इंटरक्रॉपिंग
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खरपतवार को कम करने के लिए उथली खेती करनी चाहिए।
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पहले 4 से 5 वर्षों के दौरान, सब्जियों जैसे गोभी, फूलगोभी टमाटर, मटर, बीन्स आदि के साथ अंतर-फसल की खेती करें।
संधाई और प्रूनिंग
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बहु-तना प्रणाली (Multi-stem system)
इस मामले में, प्रत्येक पौधे पर 3-4 तनों को छोड़ दिया जाता है और शेष शाखाओं को हटा दिया जाता हैं, इसके परिणाम स्वरूप झाड़ीदार रूप में पौधे का विकास होगा।
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एकल-तना प्रणाली (Single-stem system)
सभी पार्श्व प्ररोहों को हटाकर एक ही तना शेष रह जाता है। मुख्य तना को लगभग एक मीटर की ऊंचाई के ऊपर से पिंच किया जाता है जिसके परिणामस्वरूप शाखाएं बन जाती हैं। जमीनी स्तर से लगभग 60-70 सेंटीमीटर की दूरी पर सभी तरफ अच्छी तरह से वितरित 4-5 शाखाओं को ही बढ़ने दिया जाता है।
वाटर स्प्राउट, कमजोर क्रॉच, मृत टहनियाँ, पुराने स्पर्स की छंटाई की जाती है।
फूलना और फलना
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एक परिपक्व अनार में साल भर फूल और फल लगने की प्रवृत्ति होती है।
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बहार नियमन/उपचार – यह सामान्य फूल आने से लगभग 60 दिन पहले पानी रोक कर किया जाता है, जड़ का एक्सपोजर, और रसायनों का उपयोग से भी किया जाता है।
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मृग बहार– जून-जुलाई (फूल)
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अम्बे बहार– फरवरी – मार्च (फूल)
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हस्त बहार– सितंबर – अक्टूबर (फूल)
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कटाई
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फूल आने के 5 से 7 महीने बाद फल तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते हैं।
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जब परिपक्व फल थोड़े पीले और फिर गुलाबी से लाल हो जाते हैं।
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फल को थपथपाने पर धात्विक ध्वनि निकलती है और दबाने पर ‘क्रंच‘ की आवाज आती है।
उपज
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80-120 फल/पौधे या 16-20 किग्रा/पौधे
कीट नियंत्रण
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Pomegranate butterfly or Anar fruit fly (Virachola isocrates)
मादा फूलों और छोटे फलों के गुच्छ पर अंडे देती है। हैचिंग कैटरपिलर विकासशील फलों के अंदर छेद करती हैं और अंदर से खा जाती हैं। प्रभावित फल नीचे गिर जाते हैं।
नियंत्रण
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सभी प्रभावित फलों को इकट्ठा करके नष्ट कर दें।
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मेटासिड या कार्बेरिल 2% या फॉस्फोमिडॉन 0.03% स्प्रे करें
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Bark Eating caterpillar (Inderbela tetraonis)
यह कीट अनार के पेड़ की छाल में घुस जाताहै और अंदर ही अंदर खा जाता है।
नियंत्रण
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अवांछित टहनियों को हटाकर पेड़ों की भीड़भाड़ से बचें।
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मिट्टी का तेल या पेट्रोल डालें और छेद को रूई से बंद करें।
रोग नियंत्रण
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Fruit rot (Phomopsis sp.)
प्रभावित पौधों में फूलों पर फल नहीं लगते हैं और युवा फल गिर भी सकते हैं। लक्षण पूरे फल पर पीले या काले धब्बों के साथ दिखाई देते हैं।
नियंत्रण
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सभी प्रभावित टहनियों, फलों को हटाकर जला दें।
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डाइथेन Z-78 का 2% छिड़काव करें
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Leaf spot (Xanthomonas punicae, Colletotrichum gloeosporioides)
ज़ैंथोमोनस प्यूनिका के कारण पत्तियों पर अनियमित पानी से लथपथ धब्बे हो जाते हैं। वे दिखने में हल्के भूरे से गहरे भूरे रंग के होते हैं, टहनियों, शाखाओं या फलों पर धब्बे नहीं दिखाई देते हैं।
नियंत्रण
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गिरे हुए पत्तों और फलों को इकट्ठा करके नष्ट कर दें।
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2% 15 दिनों के अंतराल पर डाइथेन एम-45 या कैप्टन का छिड़काव करें।
भौतिक विकार
फलों का फटना (Fruit Cracking)
फटे फल कुछ कवक और बैक्टीरिया के आक्रमण के लिए भी उत्तरदायी होते हैं।
कारण
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नये पौधों में बोरॉन की कमी
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अनियमित सिंचाई या अनियमित बारिश के कारण बनी नमी की कमी की स्थिति
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दिन और रात के तापमान में अचानक उतार-चढ़ाव।
नियंत्रण
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बोरेक्स का 1% छिड़काव करें
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हल्की सिंचाई के माध्यम से नियमित रूप से मिट्टी की नमी की आपूर्ति करें।
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अनार के बाग के चारों ओर पौधरोपण करें।
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रोधी किस्मों का प्रयोग करें।