Horticulture Guruji
Exercise 5
To study the plant propagation by stem cutting
कलम:- पौधे के किसी भाग को काटकर उसे नर्सरी में रोपित कर नये पौधे के रूप में विकसीत करना कलम (Cutting) कहलाता है।
आवश्यक उपकरण
- उच्च गुणवान पैतृक पौधे
- स्केटीयर
- ग्राफटिंग चाकू
- जड़ माध्यम
- हार्मोन्स जैसे रूटक्स
तना कलम की प्रक्रिया
- कलम के लिए आम तौर पर वर्तमान या पिछले सीजन की शाखा का चुनाव करना चाहिए। यदि संभव हो तो फूलों की कलियों वाली सामग्री से बचें। स्वस्थ, रोग मुक्त पौधों से कलम लें, और अधिमानतः पौधे के ऊपरी भाग से।
- पैतृक पौधे की उर्वरता स्थिति जड़ निकलने को प्रभावित कर सकती है। खनिज पोषक तत्वों की कमी के लक्षण दिखाने वाले पौधों से कलम लेने से बचें। इसके विपरीत, जिन पौधों में भारी मात्रा में उर्वरक दिया गया है, विशेष रूप से नाइट्रोजन, वे भी अच्छी तरह से जड़ें नहीं जमा सकते हैं। पैतृक पौधा नमी की कमी में नहीं होना चाहिए। पार्श्व शाखा की कलम अक्सर शीर्ष कलम से बेहतर होती है।
- कलम लेने के लिए सुबह का समय सबसे अच्छा होता है। कटिंग को ठंडा और नम रखना महत्वपूर्ण है जब तक कि वे रोपित न कर दी जाएं। कटिंग को स्टोर करने के लिए गहरे रंग के प्लास्टिक बैग जिसमें गीला कागज का तौलिया लगा हो का उपयोग किया जा सकता है।
- जबकि तने के सिरे के भाग सबसे अच्छे होते हैं, एक लंबी शाखा को कई कलमों में विभाजित किया जा सकता है। कलम आमतौर पर 4 से 6 इंच लंबी होनी चाहिए। एक तेज, पतले ब्लेड वाले पॉकेट चाकू या तेज प्रूनिंग कैंची का प्रयोग करें।
- यदि आवश्यक हो, तो काटने के उपकरण को रबिंग अल्कोहल या 1 भाग ब्लीच 9 भाग पानी के मिश्रण में डुबोएं, ताकि पौधों के संक्रमित भागों से स्वस्थ पौधों में रोगों का प्रसार न हो सके।
- कलम के निचले एक तिहाई से पत्तों को हटाकर आधा कर दें। बड़े पत्तों वाले पौधों पर, पानी की कमी को कम करने के लिए शेष पत्तियों को आधा काटा जा सकता है।
- जड़ को बढ़ावा देने वाले हार्मोन्स के साथ कलम का उपचार कुछ पौधों की जड़ को उत्तेजित करने में सहायक हो सकता है जिनमें जड़े मुश्किल से निकलती है।
- पर्याप्त वातन प्रदान करने के लिए जड़ माध्यम जीवाणुरहित, कम उर्वरता और अच्छे जल निकास वाला होना चाहिए। इसमें पर्याप्त नमी भी बनी रहनी चाहिए ताकि बार-बार पानी न देना पड़े। आमतौर पर उपयोग की जाने वाली सामग्री मोटा रेत, एक भाग पीट और एक भाग पेर्लाइट (मात्रा के अनुसार), या एक भाग पीट और एक भाग रेत (मात्रा के अनुसार) का मिश्रण होना चाहिए।
- कलमों को उनकी लंबाई के एक तिहाई से आधा मिट्टी /माध्यम में दबाए। तने के ऊर्ध्वाधर अभिविन्यास को बनाए रखें (कलम को उल्टा न लगाए)। यदि कंटेनर या फ्रेम 3 या अधिक इंच गहरे हैं तो कलम लगाने के बाद फिर से पानी दें। सीधी धूप से बचें। जब तक कलम में जड़े न निकल आए तब तक माध्यम को नम रखें।
- नई जड़ वाली कलमों को सीधे खेत में नहीं लगाना चाहिए। इसके बजाय, उन्हें कंटेनरों में या क्यारी में ट्रांसप्लांट करें।
कलमों के प्रकार
(i) शाकीय कलम (Herbaceous Cutting) – समान्यत अलंकृत (Ornamental) पौधों को शाकीय कलम से प्रवर्धित किया जाता है। कलम 1-2 माह पुरानी शाखा से बनाई जाती है कलम के आधार से पत्तियों को काट कर हटा दिया जाता है शेष ऊपरी पत्तियों को रहने दिया जाता है क्योंकि इस समय शाखा में संचित कार्बोहाइड्रेट कम होता है और पत्तियां भोजन बनाने का काम करती है। यह कलम ऑल्टरनेन्थरा (Alternanthra), कोलियस (Coleus) पिलिया, इरेसीन (Iresine) के प्रवर्द्धन में उपयोग की जाती है।
(ii) कोमल काष्ठीय कलम (Soft Wood Cutting) – इस प्रकार की कलमें फलवृक्षों के प्रवर्द्धन में कम उपयोग ली जाती है। और कलम बनाते समय अधिक अद्रता होनी चाहिए। कलम 2-3 माह पुरानी शाखा से ली जाती है। कलम की लंबाई 10-15 सेमी रखी जाती है। इस प्रकार की कलमें सेब, नाशपाती, अमरूद, और कुछ अलंकृत पौधों में तैयार की जाती है।
(iii) अर्द्ध कठोर काष्ठीय कलम (Semi Hard Wood Cutting) – 4-9 माह पुरानी अर्द्ध कठोर काष्ठीय शाखा से कलम को लिया जाता है। कलम की लंबाई 7-20 सेमी होनी चाहिए। कलम की ऊपरी 2-3 पत्तियों को छोड़ कर पूरी पत्तियों को हटा दिया जाता है। यह कलम बरसात के मौसम में बनाई जाती है। जब वातावरण में अधिक अद्रता होती है। PGR से उपचारित कर इसे तैयार क्यारी में रोपित कर दिया जाता है। यह कलम आम, अमरूद, कटहल, नीबू, आंवला आदि में बनाई जाती है।
(iv) कठोर काष्ठीय कलम (Hard Wood Cutting): – इस विधि में कलम पौधे की एक वर्ष अथवा अधिक पुरानी काष्ठीय शाखा से कलम को काटा जाता है। अधिक वृद्धि/ ओजपूर्ण (Vigorous Growth) और लंबी पोर (internode) वाली शाखा से कलम नहीं लेनी चाहिए। कलम की लंबाई 10-45 सेमी. रखी जाती है। दो से तीन कली (Bud) वाली कलम जिसे नीचे से कली के पास से तथा ऊपर की कली से 1 से 2 सेमी ऊपर काटा जाता है। कलम के ऊपरी भाग को काटते समय तिरशा काटा जाता है जिसे से लगाने के बाद सिंचाई करते समय पानी उस के कटान के ऊपर न रुके। कलम को लगाने से पूर्व IBA के 1500 ppm के घोल से उपचारित करना चाहिए जिस से जड़ का विकास जल्दी होता है। कलम बनाने का समय नंवबर से फरवरी होता है। इस प्रकार की कलम अंगूर, अंजीर, अनार शहतूत, गुलाब आदि में बनाई जाती है।