वानस्पतिक नाम – सिट्रस औरंटीफोलिया
कुल – रुटेसी
गुणसूत्र संख्या – 2n = 18
उत्पति – भारत
फल का प्रकार– हेस्परिडियम
पुष्पक्रम का प्रकार – साइमोस (सोलिटेरी)
खाने योग्य भाग – रसीले पलसेन्टल बाल (Juicy Placental Hairs)
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- भारत दुनिया में प्रमुख नींबू (लाइम) और लेमन उत्पादक देशों में 5 वें स्थान पर है।
- 2018-19 में भारत में नींबू और लेमन का रकबा 296 हजार हेक्टेयर था और उत्पादन 3397 हजार मीट्रिक टन।
- 2018 में गुजरात में नींबू और लेमन का अधिकतम क्षेत्रफल और उत्पादन (46.28 हजार हेक्टेयर और 605.62 हजार मीट्रिक टन) और उसके बाद आंध्र प्रदेश (34.88 हजार हेक्टेयर और 562.01 हजार मीट्रिक टन) है।
- कागजी नींबू ट्राइस्टेजा का सूचक पौधा है और यह इस रोग के लिए अतिसंवेदनशील है।
- सिट्रस कैंकर एसिड लाइम का सबसे गंभीर रोग है।
- एसिड लाइम (नींबू) एक उष्णकटिबंधीय पौधा है।
- गजनिम्मा (साइट्रस पेनिविसिकुलाटा) और रफ़ नींबू, एसिड लाइम का सबसे आशाजनक मूलवृन्त है।
- टांका और स्विंगल (1945) द्वारा सिट्रस का वर्गीकरण दिया गया था।
- स्पेन सिट्रस का सबसे बड़ा निर्यातक है।
- सिट्रस का अल्ट्रा-ड्वार्फ रूटस्टॉक – फ्लाइंग ड्रैगन है।
किस्में
- प्रमालिनी – कैंकर सहिष्णु
- विक्रम
- चक्रधर – एसिड लाइम की बीजरहित किस्म
- पी के एम – 1
- साईं सरबती – ट्राइस्टेजा और कैंकर के प्रति सहिष्णु
- जय देवी – मधुर सुगंध
जलवायु
- उष्णकटिबंधीय जलवायु
- समुद्र तल से 1000 मीटर या इससे अधिक ऊंचाई तक खेती की जाती है
- इसकी खेती में तेज हवा और ठण्ड हानिकारक होती हैं।
- वार्षिक वर्षा औसत 75 सेमी से अधिक नहीं होनी चाहिए।
मिट्टी
- अच्छी जल निकासी वाली, गहरी (1.5 मी.), मध्यम से हल्की मिट्टी उपयुक्त रहती है।
प्रवर्धन
- मुख्य रूप से बीज द्वारा किया जाता है।
रोपण
- गर्मी के मौसम में 60-75 सेंमी3 आकार के गड्ढे खोदे जाते हैं।
- नींबू 5×5 या 6×6 मीटर की दूरी पर लगाया जाता है।
- रोपण का सबसे अच्छा समय मानसून की शुरुआत होता है।
खाद और उर्वरक
- FYM – 50 किग्रा, N : P : K – 500 ग्राम : 400 ग्राम : 900 ग्राम/पेड़ पांचवें वर्ष से और उसके बाद दिया जाता है।
- हर साल इसे पहली बार वसंत ऋतु में फूल आने से पहले दिसंबर-जनवरी में दिया जाता है और दूसरा बार इसे जून-जुलाई में दिया जाता है।
सिंचाई
- शीतकाल में 15-20 दिन के अंतराल पर तथा गर्मी में 8-10 दिन के अंतराल पर।
- फलों के बनने और फलों के विकास के दौरान मिट्टी में पर्याप्त नमी बनी रहनी चाहिए।
इंटरकल्चर और इंटरक्रॉपिंग
- वर्ष में एक या दो बार निराई-गुड़ाई (मानसून के बाद )
- वृद्धि के प्रारंभिक चरण में फलियों वाली अथवा कुछ सब्जियां ली जा सकती हैं।
संधाई और छंटाई
- संधाई प्रारंभिक चरण में की जाती है, यदि आवश्यक हो तो बांस की छड़ियों के साथ सहारा प्रदान किया जाता है।
- बाद में पेड़ों की अवांछित शाखाओं की छंटाई की जा सकती है।
फूल और फलन
- पौधे लगाने के चौथे साल से पेड़ में फूल आना शुरू हो जाते हैं।
- फूल आने के छह महीने बाद फल पक जाते हैं।
- जनवरी की शुरुआत में ZnSo46% + 2, 4-डी 20 पीपीएम के छिड़काव से अधिक फल सेटिंग, न्यूनतम फल गिरना और उच्च फल उपज प्राप्त होती है।
तुड़ाई
- गुजरात में कुल फसल का 60% जुलाई से सितंबर तक, 30% अक्टूबर-जनवरी और 10% फरवरी से मई तक तोड़ा जाता है।
- उत्तर भारत में तुड़ाई अगस्त-सितंबर में की जाती है।
- फलों की तुड़ाई तब की जाती है जब छिलके का रंग हरे से पीला हो जाता है।
उपज
- उपज नींबू के पेड़ की किस्म पर निर्भर करती है और प्रति हेक्टेयर 150-500 क्विंटल तक हो सकती है।
- और औसत उपज 25t/ha. रहती है।
लाइम (नींबू) और लेमन में अंतर
लाइम (नींबू) |
लेमन |
वानस्पतिक रूप से, यह सी. ऑरेंटिफोलिया है |
वानस्पतिक रूप से, यह सी. लाइमोन है |
पत्तियाँ और फूल छोटे होते हैं |
मध्यम आकार के होते है |
चिह्नित पर्णवृंत (petiole) पंख पाए जाते है |
पर्णवृंत (petiole)के पंख बहुत संकरे या अनुपस्थित होते हैं |
पुंकेसर लगभग 25 होते हैं |
पुंकेसर लगभग 30 होते हैं |
छिलका पतला होता है |
नींबू से थोड़ा मोटा होता है |
पल्प वेसिकल्स छोटे और पतले होते हैं |
पल्प वेसिकल्स बड़े और मोट होते हैं |
पल्प हरे रंग की दिखाई देती है |
दिखने में हल्की पीलापन लिए होती है |
References cited
- Commercial Fruits. By S. P. Singh
- A text book on Pomology, Vol,1. by T. K. Chattapadhya
- Tropical Horticulture, Vol.1, by T. K. Bose, S. K. Mitra, A. A. Farooqui and M. K. Sadhu