बेर

Horticulture Guruji

बेर

फल विज्ञान

गरीब आदमी का फल (Poor man’s fruit) / शुष्क फलों का राजा (King of Arid fruits) / चीनी अंजीर (Chinese fig) / चीनी खजूर (Chinese Date)

वानस्पतिक नाम Zizyphus mauritiana

कुल Rhamnaceae

उत्पति भारत से दक्षिण पश्चिम एशिया तक मलेशिया (चीन)

गुणसूत्र संख्या 2n = 48 (4x)

फल प्रकार Drupe (stone)

खाने वाला भाग Pericarp

पुष्पक्रम Fasicle (cymose)

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महत्वपूर्ण बिन्दु 

  • बेर एक नॉन क्लाईमेकट्रीक फल है

  • अत्यधिक नमक सहिष्णु (Salt Tolerant).

  • बेर अत्यंत सूखा प्रतिरोधी होता है।

  • बेर एंटोमोफिलस (कीट परागीत) होता है।

  • बेर में गैमेटोफिटीक सेल्फ इन-कम्पैटिबिलिटी मौजूद होती है।

  • अधिकतम क्षेत्रफल और उत्पादन मध्य प्रदेश।

  • छंटाई के लिए सबसे अच्छा समय मई के अंत से जून के मध्य तक है।

  • प्रूनिंग से 2 दिन पहले 3% थियोरिया या KNO3 का एक स्प्रे करने से नोड्स की अधिकतम संख्या से कली अंकुरित होती है।

  • अक्टूबर में सिंचाई से फूल गिर जाते हैं और मार्च-अप्रैल के दौरान फल खराब हो जाते है और पकने में देरी होती है।

  • बेर फूल आने के 150-175 दिन बाद पकते है।

  • बेर के प्रसार का सबसे आम तरीका I या T बडिंग है।

  • प्रशिक्षण (ट्रैनिंग) का आदर्श समय मार्च है।

  • दक्षिण भारत में तुड़ाई – अक्टूबर-नवंबर

          उत्तर भारत – फरवरी-अप्रैल।

  • जल्दी पकाव के लिए रंग बदलने की प्रारंभिक अवस्था में 750 पीपीएम एथीफॉन का छिड़काव।

  • वर्तमान मौसम की युवा शाखाओं पर पत्तियों की धुरी में पुष्पन होता है।

 

किस्में 

अत्यंत शुष्क क्षेत्र – जल्दी पकने वाली

  • गोला – ऑटो ऑक्टा-प्लोइड (Auto octa-ploidy)।

  • सेब

शुष्क क्षेत्र- देर से पकने वाली

  • उमरान – ऑटो टेट्राप्लोइड (Auto tetraploid), राजस्थान से उत्पन्न, संसाधित और छुहाराके रूप में उपयोग किया जाता है

आर्द्र क्षेत्र

मेहरुण

मध्य परिपक्व

  • रश्मी

  • मुंडिया

  • बनारसी

अन्य

  • सनौर -2चूर्णी फफूंदी के लिए प्रतिरोधी

  • दोढिया – फ्रूट फ्लाई से प्रतिरोधी

  • इलाइची – 90% बाँझ पराग (sterile pollen)

  • गोमा कीर्ति (गनेश कीर्ति)- अगेती किस्म, उमरान से चयन द्वारा विकसित।

  • बेर
    बेर

    सनौर-5,

  • कैथली

  • सुरती कथा,

  • कथा फल,

  • जोगिया,

  • स्यो (Seo)

 

जलवायु

  • 1500 मीटर की ऊंचाई तक खेती की जाती है

  • बेहतर गुणवत्ता वाले फलों के लिए शुष्क और अर्ध-शुष्क जलवायु की आवश्यकता होती है।

  • सूखे और जलभराव के प्रति सहनशील।

 

मिट्टी

  • सीमांत भूमि में सफलतापूर्वक उगाया गया।

  • लवण के प्रति सहनशील होने के कारण लवणीय और क्षारीय मिट्टी में आसानी से उगाया जा सकता है

  • सामान्य से लेकर थोड़ा क्षारीय पीएच वाली रेतीली दोमट मिट्टी।

 

प्रवर्धिन (Propagation)

  • भारत में, बेर को व्यावसायिक रूप से बडिंग द्वारा प्रवर्धित किया जाता है।

  • बडिंग का समय- जून या मानसून।

  • रूटस्टॉक- Ziziphus rotundifolia

 

रोपण

  • मानसून रोपण के लिए अप्रैल से मई में 60 सेमी3 आकार के गड्ढे खोदे जाते हैं।

  • वसंत रोपण के लिए दिसंबर या जनवरी में।

  • रोपण का सबसे अच्छा समय मानसून की शुरुआत (जून-जुलाई) है।

  • 4X4 m या 6X3m, या 6X6m या 6X5m रोपण दुरी रखी जाती है।

 

खाद और उर्वरक

  • FYM -20-30 किग्रा /पौधे

  • N-400-500gm/पेड़, P2O5– 200gm/पेड़ K2O- 200gm/पेड़।

  • नत्रजन की आधी मात्रा और फॉस्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा जून-जुलाई के महीने में डालना चाहिए

  • नत्रजन की बची हुई मात्रा का प्रयोग सितम्बर-अक्टूबर के दौरान करना चाहिए।

 

सिंचाई

  • नव रोपित बेर के पौधों को हल्की सिंचाई करनी चाहिए।

  • ड्रिप सिंचाई भी किफायती विधि है।

  • फलन के समय सिंचाई से बड़े आकार के फल विकसित होते है।

  • सिंचाई की सीमित सिंचाई पिचर प्रणाली अपनाएं।

 

पलवार

तने के चारों ओर 75% पेड़ की छतरी सूखी पत्तियों, घासों, आरी की धूल आदि से मल्चिंग मिट्टी की नमी को काफी हद तक संरक्षित करती है।

 

बेर में प्रशिक्षण और छंटाई

  • बेर के पेड़ के मजबूत फ्रेम के लिए रोपण के पहले वर्ष से प्रशिक्षण आवश्यक हो जाता है।

  • मुख्य शाखाओं की कुल संख्या 4-6 हो सकती है।

  • पेड़ की ताकत और उत्पादकता को बनाए रखने के साथ-साथ फलों के आकार और गुणवत्ता में सुधार के लिए बेर में छंटाई करना अत्यधिक वांछनीय है।

  • सभी शाखाएं जो कमजोर, पतली, रोगग्रस्त, टूटी हुई शाखाएं, इंटर-क्रॉसिंग हैं, उन्हें एक तेज सीकेटियर से हटा देना चाहिए।

  • छंटाई का सबसे अच्छा समय गर्म, शुष्क मौसम होता है जब पौधे अपने पत्ते गिरा देते हैं और आराम करने चले जाते हैं या निष्क्रिय हो जाते हैं।

 

PGR

GA3, 2,4,5 – T, 2,4-D, NAA का 10-15 ppm का उपचार करने से फल अधिक लगते है।

 

इंटरकल्चर और इंटरक्रॉपिंग

  • बेर के पौधे को खरपतवारों से मुक्त रखें, नियमित रूप से निराई करने की सलाह दी जाती है।

  • बेर में मूंग, ग्वार, लोबिया पालक आदि जैसी मौसमी फसलें उगाई जा सकती हैं।

  • बेर के बाग में 2 से 3 वर्ष तक अंतरफसल लें।

 

तुड़ाई

  • उत्तर भारत में तुड़ाई फरवरी से अप्रैल तक की जाती है।

  • पश्चिमी बंदरगाह – दिसंबर – जनवरी।

  • दक्षिण भारत – नवंबर।

  • जब रंग हरे से पीले और सुनहरे पीले से भूरे रंग में बदल जाता है।

  • चीनी बढ़ने से फल मीठे हो जाते हैं और अम्लता कम हो जाती है।

 

उपज

80 से 150 किग्रा / वृक्ष

 

कीट नियंत्रण

1.Fruitfiy (Carpomyia vesuviona)

मक्खियाँ युवा विकासशील फलों को पंचर करती हैं और एकल अंडे देती हैं। लार्वा (कीड़े) निकलने के बाद फलों के गूदे के अंदर भोजन करते हैं और छिलके में छेद कर देते हैं।

नियंत्रण

  • प्रभावित फलों को इकट्ठा करके नष्ट कर दें

  • मोनोक्रोटोफॉस (04%) या रोगोर 30 ईसी (0.06%) का छिड़काव करें

  • सहनशील किस्मों जैसे सनौर –1, सफेदा, इलाइची आदि को उगाएं।

 

  1. छाल खाने वाली सुंडी (Inderbela quadinotota)

छाल खाते समय सुंडी तने में छेद कर देती है।

नियंत्रण

  • 05% मोनोक्रोटोफॉस 40EC का छिड़काव करें साथ ही गैलरी और उठी हुई छाल को हटा दें।

  • रोहताकी गोला, लड्डू ग्लोरी आदि कीट सहिष्णु किस्में उगाएं।

 

  1. Hairy caterpillar (Euproctis fraterna)

बरसात के मौसम में कैटरपिलर पत्तियों को खा कर नुकसान पहुंचता है।

नियंत्रण

  • सेवेन (कार्बेरिल) @ 0.15% का स्प्रे करें

 

रोग नियंत्रण

1.Powdery Mildew (Oidium erysiphoides)

  • यह रोग पहली बार 1946 में कानपुर (यूपी) में देखा गया था।

  • प्रभावित फलों में सफेद चूर्णी धब्बे दिखाई देते हैं जो बाद में पुरे फल के क्षेत्र को ढक लेते हैं।

  • सफेद चूर्णी द्रव्यमान फूल और पत्तियों पर भी फैल जाता है।

नियंत्रण

  • कराथेन (डाइनोकैप) 1% या सल्फ़ॉक्स 0.2% का छिड़काव करें

  • सानौर-5, चुहारा आदि सहनशील किस्मों को उगाएं।

 

  1. Sooty mould or Black Leaf Spot (Isariopsis sp.)

  • सितंबर-अक्टूबर के महीने में प्रभावित पत्तियों पर उनके अंदरूनी सतह पर काले धब्बे बन जाते हैं।

  • पत्तियाँ पीली से भूरी हो जाती हैं और अंततः नीचे गिर जाती हैं।

नियंत्रण

  • पादप स्वच्छता उपायों को अपनाएं।

  • डाइथेन जेड- 78@ 0.2% का छिड़काव करें।

 

  1. Fruit Root (Phoma sp., Colletotrichum sp., Alternaria sp.)

फलों पर  भूरे से काले रंग के धब्बे बन जाते है है बाद में ये धब्बे पुरे फल को घेर लेते है

नियंत्रण

  • डाइथेन जेड-78@0.2% का स्प्रे करें।