अन्य नाम : – Whole Some Fruit, Cantaloupe
वानस्पतिक नाम : Cucumis melo
कुल : Cucurbitaceae
गुणसूत्र सख्या : 2n=24
उत्पति : Tropical Africa
महत्वपूर्ण बिन्दु (Importance Points)
- परिपक्वता के समय उच्च तापमान मिठास को बढ़ाता है।
- खरबूजे की तुड़ाई Full Slip अवस्था पर करनी चाहिए।
- हरित मधु किस्म की कटाई नेटिंग स्टेज पर की जाती है।
- अधिकांश किस्मों में TSS 11-17% होता है।
- पश्चिमी देशों में खरबूजे से आइसक्रीम तैयार करते है ।
- एंथेसिस (Anthesis) का समय 5:30 -6: 30AM का 22-290 C तापमान पर होता है ।
- खरबूजा क्लीमक्ट्रिक (Climacteric) सब्जी है।
- खरबूजे की श्वसन दर बहुत अधिक होती है।
- Pickling Melon –C. melo var. conomon
- Mango or Lemon Melon – C. melo var. chito
- भारत में Daria Cultivation के लिए उपयुक्त फसल है (डारिया खेती के तहत लगभग 75-80% क्षेत्र आता है)
क्षेत्रफल एवं उत्पादन (Area and production)
Sr. No. |
States |
2016-17 |
2017-18 |
||
Area (000’ hac) |
Production (000’ MT) |
Area (000’ hac) |
Prodcution (000’ MT) |
||
1 |
Uttar Pradesh |
21.03 |
547.04 |
21.10 |
548.67 |
2 |
Andhra Pradesh |
8.68 |
264.35 |
9.90 |
314.39 |
3 |
Punjab |
5.28 |
94.04 |
5.56 |
127.48 |
7 |
Other states |
15.42 |
191.87 |
17.54 |
240.12 |
|
Total |
50.41 |
1097.30 |
54.10 |
1230.66 |
Source :- NHB 2018
आर्थिक महत्व (Economic importance)
- फलों में 95 ग्राम पानी, 3 ग्राम प्रोटीन, 0.4 ग्राम खनिज, 3.5 ग्राम कार्बोहाइड्रेट प्रति 100 ग्राम ताजा वजन होता है। यह लोहे का एक समृद्ध स्रोत (1.4mg) भी है।
- पके फल का उपयोग खाने और सलाद के रूप में किया जाता है ।
किस्में (Varieties)
- Selection: –
Durgapura Madhu
Arka Jeet
Arka Rajhans
Hara Madhu
Pusa Madhuras
2. Hybrids: –
Pusa Shabati: -Kutana X Cantaloupes (early Variety)
Punjab Sunheri : – Hara Madhu X Edisto
MHY-5 Durgapura Madhu X Hara Madhu
Punjab Rasila :- PM an DM resistant Variety
Hissar Madhur Pusa Sharvati X 75
Pusa Rasraj:- developed using monoecious sex form as female parent.
Swarna
Shweta
3. Other Varieties: –
Punjab Hybrid
RM-43
MHW 6
Gujarat Kharbuja (Chaman- 262)
Narendra Kharbuja -1
Sona
M-3
M-4
जलवायु (Climate)
आम तौर पर स्वाद और उच्च TSS के विकास के लिए प्रचुर धूप के साथ गर्म, शुष्क मौसम की एक लंबी अवधि की आवश्यकता होती है। यह ठंड को सहन नहीं कर सकता है। फलों के विकास के दौरान खरबूजे को उष्णकटिबंधीय जलवायु और 35-400C के उच्च तापमान की आवश्यकता होती है।
मिट्टी (Soil)
खरबूजे को सभी प्रकार की मृदाओं में सफलता पूर्वक उगाया जा सकता है परंतु बलुई और बलुई दोमट मिट्टी इस की खेती के लिए उत्तम रहती है मिट्टी का pH 6 से 6.7 होना चाहिए।
बुआई का समय (Sowing Time)
खरबूजे की बुआई सामान्यतः गर्मी की फसल के रूप में की जाती है उतरी भारत में इसकी बुआई फरवरी माह के बाद की जाती है और दक्षिणी भारत और वेस्ट बंगाल में खरबूजे की बुआई नवंबर से दिसंबर माह में की जाती है ।
खेत की तैयारी (Preparation of field)
खेत को 3 से 4 बार जुटाई कर मिट्टी को भूर भूरा बना लिया जाता है और उचित आकार की क्यारियाँ बना ली जाती है ।
बीज दर (Seed Rate)
खरबूजे की अनुशंसित मात्रा 3.5 – 6 किलो प्रति हेक्टेयर तक है।
बुआई (Sowing)
पौधे की दूरी और बुवाई का तरीका खेती और क्षेत्रों के अनुसार अलग अलग होता है। बीजों को कुंडों (furrow) में बोया जाता है अथवा उठी हुई क्यारी के दोनों और बीजों को बोया जाता है बीजों को 2.5 से 4 से.मी. गहरा और बुवाई 1.5 से 4 मीटर पंक्ति से पंक्ति की दूरी पर तथा 60 से 75 सेमी पौधे से पौधे की दूरी पर बोया जाता है। हर गड्ढे में 3-4 बीज बोए जाते हैं। अंकुरण के बाद 2 से 3 पौधों को हटा दिया जाता है और हर गड्ढे में केवल एक ही रहने दिया जाता है
खाद एवं उर्वरक (manure and Fertilizers)
हमेशा उर्वरकों का उपयोग मिट्टी की जांच के अनुसार ही करना चाहिए अगर मिट्टी की उर्वरता मध्यम दर्जे की है तो 200 किवंटल गोबर की खाद, 80 किलो नाइट्रोजन, 50 किलो फास्फोरस और 50 किलो पोटाश प्रति हेक्टेयर देना चाहिए।
सभी उर्वरक और आधी मात्रा नाइट्रोजन की बुआई से पहले खेत में देनी चाहिए। और शेष नाइट्रोजन को पुष्पन के समय top dressing के रूप में देनी चाहिए।
सिंचाई (Irrigation)
खरबूजे की फसल को बसंत और गर्मी की फसल में सिंचाई की आवश्यकता होती है परंतु बरसात में सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है। खरबूजे को नदियों के तट पर उगाया गया हो तो पौधा अपने आप जड़ों के केप्लरी एक्शन (capillary action) से जल को शोषित कर लेता है खरबूजे को सामान्यतः गर्मी के मौसम में 5 -7 दिनों के अंतराल पर सिंचाई की आवश्यकता होती है परंतु पकाव के समय सिंचाई को रोक दिया जाता है जिस से फल में मिठास बन सके।
खरपतवार नियंत्रण (Weed Control)
खरबूजे की सफल खेती के लिए खेत को खरपतवार मुक्त रखा जाना चाहिए इसलिए पौधे की प्रारम्भिक अवस्था में क्यारी, मेंढ़ों और नालियों से खरपतवार को समय समय पर निकलते रहना चाहिए। खरपतवार नाशियों का भी उपयोग किया जा सकता है जैसे सिमजीन, डाइक्लोरामेट आदि ।
वृद्धि नियमकों का प्रयोग (Use of Growth regulators)
Sr. No |
PGR |
Doses |
Effective |
1 |
MH |
200ppm |
फलन को बढाती है |
2 |
GA3 |
10ppm |
फलन को बढाती है |
ये सभी वृद्धि नियामकों का छिड़काव 2 से 3 सच्ची पत्ती की अवस्था पर किया जाता है।
तुड़ाई (Harvesting)
आमतौर पर, बुवाई के बाद 110 दिनों में फल तुड़ाई के लिए तैयार हो जाता है फिर भी तुड़ाई विभिन्न प्रकार की क़िस्मों और कृषि-जलवायु स्थितियों पर निर्भर करती है।
परिपक्वता सूचकांक (Maturity Indices)
- फलों के बाहरी रंग में परिवर्तन
- छिलका नरम होना
- कुछ किस्मों में फल netting stage पर तोड़े जाते है यह वह अवस्था होती है जिसमें कुछ खास किस्मों में फल के ऊपर जाल जैसी संरचना दिखाई देने लग जाती है जैसे हरा मधु किस्म में ।
- abscission परत का विकास
- Full Slip stage: – इस अवस्था में फल पूर्ण परिपक्व होने पर वेल से abscission layer के निर्माण के कारण स्वतः ही अलग हो जाते है और अलग होने की जगह पर एक गहरा साफ गड्ढा दिखाई देता है इस अवस्था पर फल की शेल्फ लाइफ कम रह जाती है और फल नजदीकी मंडी में बेचने के लिए उपयुक्त होता है।
- Half-slip stage: – पूर्ण परिपक्व अवस्था अथवा Full Slip Stage से 1 -2 दिन पहले फलो को तोड़ लिया जाता है जिस से अलग होने वाली जगह पर फल में आधा डंठल लगा रह जाता है और गड्ढा साफ नहीं बनता है इस लिए इसे half slip stage कहा जाता है । इस अवस्था के फल दूरस्थ मार्केट के लिए उत्तम रहते है ।
उपज (Yield)
खरबूजे की औसत उपज लगभग 125 – 150 किवंटल होती है।
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