फलों और सब्जियों का भंडारण

Horticulture Guruji

फलों और सब्जियों का भंडारण

तुड़ाई उपरान्त प्रबन्धन और मूल्य वर्धन

भंडारण

भंडारण वस्तुओं की गुणवत्ता, उपयोगिता में सुधार करता है और बाजार की भरमार (Glut) को भी नियंत्रित करता है। भंडारण का मुख्य लक्ष्य वाष्पोत्सर्जन, श्वसन, रोग और कीट संक्रमण की दर को नियंत्रित करना है। उचित परिपक्वता पर कटाई, कटाई के बाद की बीमारियों पर नियंत्रण, वातावरण का नियमन, रासायनिक उपचार, विकिरण, प्रशीतन और नियंत्रित और संशोधित वातावरण द्वारा भंडारण जीवन को बढ़ाया जा सकता है।

भंडारण के मुख्य लक्ष्य हैं:

  • द्रुतशीतन चोट (chilling injury) के बिना जैविक गतिविधि को धीमा करना।
  • सूक्ष्म जीवों के विकास को धीमा करना।
  • वाष्पोत्सर्जन हानि को कम करना।

फसल भंडारण शुरू करने से पहले जिन कारकों को ध्यान में रखा जाना चाहिए वे हैं:

  • उपयुक्त भंडारण स्थितियों का ज्ञान
  • भंडारण के लिए उपयुक्त फसल की किस्म
  • उपयुक्त भंडारण सुविधाओं की उपलब्धता
  • उपयुक्त प्रबंधन की उपलब्धता।

Watch Lecture Video Part 1st

Watch Lecture Video Part 2nd

भंडारण के दौरान फल और सब्जियां की स्थिति और विपणन योग्य जीवन खराब होने के कारण –

1) नमी की कमी

2) संचित ऊर्जा का ह्रास (कार्बोहाइड्रेट)

3) अन्य खाद्य पदार्थों की हानि

4) कीट और रोग के हमले से होने वाली शारीरिक हानि

5) शारीरिक विकारों से गुणवत्ता में कमी,

  • रेशेदार (शतावरी)
  • रूटिंग (बढ़ी हुई आर्द्रता के कारण)
  • बीज अंकुरण
  • अंकुरित (आलू, प्याज, अदरक, लहसुन)
  • सख्त (बीन्स और स्वीट कॉर्न में उच्च तापमान के कारण)

भंडारण को प्रभावित करने वाले कारक:

  • तापमान
  • सापेक्ष आर्द्रता
  • वायु वेग
  • वायुमंडल संरचना
  • प्रकाश
  • भंडारण संचालन

भंडारण के तरीके:

भंडारण के मुख्य रूप से दो तरीके हैं पारंपरिक तरीके और उन्नत तरीके।

 

1. पारंपरिक तरीकों (कम लागत वाली भंडारण संरचनाएं):

पारंपरिक तरीकों में प्रशीतन की आवश्यकता नहीं होती है: यथावत (in-situ), रेत, कॉयर (Coir), गड्ढे, क्लैंप (Clamps), विंडब्रेक, सेलर, बार्नस (Barns), वाष्पीकरणीय शीतलन और रात में वेंटिलेशन शामिल हैं:

 

I. यथावत (In situ):

फलों और सब्जियों के भंडारण की इस पद्धति में फसल की कटाई तब तक नहीं की जाती जब तक की आवश्यकता नहीं होती है। इसका उपयोग ज्यादातर जड़ वाली फसलों के साथ किया जा सकता है, जैसे कि कसावा। जिस भूमि पर फसल उगाई गई थी उस भूमि पर फसल का कब्जा होने के कारण और एक नई फसल नहीं लगाई जा सकती है। ठंडी जलवायु में, फसल को ठंड और द्रुतशीतन क्षति (chilling injury) का सामना करना पड़ सकता है। कुछ उत्पादों में अवांछित रेशे और स्टार्च का विकास होता है। कीटों और बीमारियों से नुकसान होने की संभावना भी रहती है।

 

II. रेत या कोयर (Coir):

इस भंडारण तकनीक का उपयोग भारत जैसे देशों में आलू को लंबे समय तक स्टोर करने के लिए किया जाता है, जिसमें उत्पाद  को रेत या कोयर से ढक दिया जाता है।

 

III. गड्ढे या खाइयां:

ये उसी खेत के किसी ऊँचे किनारे (खासकर उच्च वर्षा वाले क्षेत्रों में) पर 1.0-1.5 मीटर गहरे गड्ढे या खाइयां खोदी जाती हैं जहां फसल उगाई गई है।  गड्ढे या खाई में पुआल या अन्य जैविक सामग्री को बिछा दिया जाता है और फसल को संग्रहीत किया जाता है, फिर जैविक सामग्री की एक परत के बाद मिट्टी की एक परत के साथ कवर किया जाता है। हवा के आवागमन के लिए शीर्ष पर पाइप से  साथ छेद बनाए जाते हैं, क्योंकि वेंटिलेशन की कमी से फसल के सड़ने की समस्या हो सकती है। यह विधि अदरक के भंडारण के लिए उपयुक्त है।

उच्च आर्द्रता की मांग वाले फलों और पत्तेदार सब्जियों के लिए यह विधि उपयुक्त नहीं है क्योंकि इसमें उच्च आर्द्रता को बनाए नहीं रखा जा सकता  है। संग्रहीत वस्तु को सड़ने आदि के लिए बार-बार जांचा नहीं जा सकता.

 

IV. क्लैम्प्स (Clamps):

यह ग्रेट ब्रिटेन जैसे दुनिया के कुछ हिस्सों में आलू, कसावा आदि को स्टोर करने का एक पारंपरिक तरीका रहा है। एक सामान्य सी सरंचना खेत के किनारे की भूमि के एक क्षेत्र का उपयोग करती है। क्लैंप की चौड़ाई लगभग 1 से 2.5 मीटर रखी जाती है। लम्बाई चौड़ाई को चिह्नित कर आलू का एक लम्बा शंक्वाकार ढेर बना दिया जाता है। कभी-कभी आलू के नीचे मिट्टी पर पुआल बिछा दिया जाता है। ढेर की केंद्रीय ऊंचाई उसके विश्राम के कोण पर निर्भर करती है, जो क्लैम्प्स की चौड़ाई का लगभग एक तिहाई रखा जाता है। शीर्ष पर, भूसे को किनारे पर से मोड़ दिया जाता है ताकि बारिश का पानी संरचना से बाहर निकल जाए। दबाने पर पुआल की मोटाई 15-25 सेमी से होनी चाहिए। दो सप्ताह के बाद, क्लैंप को 15-20 सेमी मोटी मिट्टी की परत से ढक दिया जाता है, लेकिन यह जलवायु के आधार पर भिन्न हो सकता है। कम सापेक्ष आर्द्रता के कारण उपज सूख सकती है। बड़े ढेर के परिणामस्वरूप सड़ने की अधिक संभावना हो सकती हैं।

 

V. विंडब्रेक:

लगभग 1 मीटर की दूरी पर दो समानांतर पंक्तियों में लकड़ी के डंडे को जमीन में गाड़कर विंडब्रेक का निर्माण किया जाता है। जमीन से लगभग 30 सेंटीमीटर की ऊंचाई पर डंडों के बीच एक लकड़ी का मंच बनाया जाता है, जिसे अक्सर लकड़ी के फट्टों से बनाया जाता है। चिकन तार को डंडों के बीच और विंडब्रेक के दोनों सिरों पर मिला दिया जाता है। इस विधि का उपयोग ब्रिटेन में प्याज को स्टोर करने के लिए किया जाता है।

 

VI. तहखाना (Cellars):

ये भूमिगत या आंशिक रूप से भूमिगत कमरे अक्सर एक घर के नीचे होते हैं। इस स्थान में अच्छा तापरोधन होता है, जो गर्म परिवेश की स्थिति में शीतलन प्रदान करता है और ठंडे मौसम में अत्यधिक कम तापमान से सुरक्षा प्रदान करता है। आमतौर इसके अंदर का तापमान बाहरी तापमान से बहुत कम नहीं होता है और शायद ही कभी 15 डिग्री सेल्सियस से कम होता है। यह तापमान सूक्ष्मजीवों से और पौधों के एंजाइमों को खराब  होने से बचाने के लिए पर्याप्त कम नहीं है  हालांकि अपघटन काफी धीमा होता है। सर्दियों के दौरान सेब, गोभी, प्याज और आलू को स्टोर करने के लिए पारंपरिक रूप से ब्रिटेन में घरेलू स्तर पर सेलर्स का उपयोग किया जाता है। इसमें कम सापेक्षिक आर्द्रता के कारण उपज सूख सकती है।

 

VII. बार्नस् (Barns):

एक बार्नस् कृषि उत्पादों, जानवरों और उपकरणों को आश्रय, प्रसंस्करण और भंडारण के लिए एक खेत की इमारत है। हालांकि, भवन के प्रकार या आकार के लिए कोई सटीक पैमाना या माप नहीं है, बार्नस् शब्द आमतौर पर किसी विशेष खेत पर सबसे बड़ी या सबसे महत्वपूर्ण संरचना के लिए आरक्षित होता है। छोटे कृषि भवनों को अक्सर शेड या आउटबिल्डिंग के रूप में जाना जाता है और आमतौर पर छोटे उपकरणों को रखने या गतिविधियों के लिए उपयोग किया जाता है।

 

VIII. वाष्पशील शीतलन (evaporative cooling):

जब पानी तरल अवस्था  से गैसीय अवस्था में वाष्पित हो जाता है तो ऊर्जा की आवश्यकता होती है। इस सिद्धांत का उपयोग स्टोर को ठंडा करने के लिए पानी के पैड के माध्यम से भंडारण कक्ष में हवा को प्रवाहित करके किया जा सकता है। शीतलन की मात्रा हवा की मूल आर्द्रता और वाष्पीकरण सतह की दक्षता पर निर्भर करती है। यदि परिवेशी वायु को लगभग 100% RH तक आर्द्र किया जाता है, तो तापमान में बड़ी कमी प्राप्त होगी। यह भंडारण के दौरान ठंडी नम स्थिति प्रदान कर सकता है।

 

IX. जीरो एनर्जी कूल चेंबर (ZECC):

यह एक कम लागत वाली स्टोरेज संरचना है जो फलों और सब्जियों के कम अवधि के भंडारण के लिए उपयुक्त है। ठंडा करने के लिए किसी भी शक्ति स्रोत यानी बिजली, डीजल, पेट्रोल इत्यादि की आवश्यकता नहीं होती है, इस लिए, इन्हें शून्य ऊर्जा ठंडा कक्ष नाम दिया गया है। शून्य ऊर्जा वाले ठंडे कक्ष, वाष्पीकरणीय शीतलन प्रणाली पर आधारित होते है। वाष्पीकरण तब होता है जब हवा जो पहले से ही पानी से संतृप्त नहीं है किसी भी गीली सतह पर से वहती है। इस प्रकार एक वाष्पीकरणीय कूलर में एक गीला छिद्र युक्त बिस्तर होता है जिसके माध्यम से पानी के वाष्पीकरण द्वारा हवा को खींचा, ठंडा और आर्द्र किया जाता है। गर्मियों में, जब बाहर का तापमान 44°C होता है, कक्ष के अंदर का अधिकतम तापमान कभी भी 28°C से अधिक नहीं जाता है, सापेक्षिक आर्द्रता 90% होती है।

 

X. रात में वायुसंचार:

गर्म मौसम में, स्टोर को ठंडा रखने के लिए दिन और रात के तापमान के बीच अंतर का उपयोग किया जा सकता है। जब फसल अंदर रखी जाती है तो भंडारण कक्ष अच्छी तरह से तापरोधी होना चाहिए। स्टोररूम में एक पंखा लगाया जाता है, जिसे रात में बाहर के तापमान के भीतर के तापमान से कम होने पर चालू किया जाता है। तापमान बराबर होने पर पंखा बंद हो जाता है। पंखे को एक अंतर थर्मोस्टेट (differential thermostat) द्वारा नियंत्रित किया जाता है, जो लगातार बाहरी हवा के तापमान की तुलना आंतरिक भंडारण तापमान से करता है। इस विधि का उपयोग थोक में प्याज को स्टोर करने के लिए किया जाता है

 

  1. भंडारण के उन्नत (उच्च लागत) तरीके:

 

I. कम तापमान भंडारण (रेफ्रिजेरेटेड या कोल्ड स्टोरेज):

कम तापमान पर खाद्य भंडारण में माइक्रोबियल विकास और एंजाइम प्रतिक्रियाएं मंद हो जाती हैं। तापमान जितना कम होगा, मंदता उतनी ही अधिक होगी। निम्न तापमान नियोजित किया जा सकता है

क) प्रशीतन या द्रुतशीतन तापमान (O° C से 5°C)

ख) जमाव तापमान (कोल्ड स्टोरेज) (-18°C से -40°C)

 

क) प्रशीतन या द्रुतशीतन तापमान (0  से 5 सेल्सियस):

प्रशीतित भंडारण या कम तापमान भंडारण दुनिया भर में फलों और सब्जियों दोनों के भंडारण का सबसे आम तरीका है। प्रशीतन एक संलग्न स्थान या कमरे या किसी पदार्थ या वस्तु से गर्मी को हटाने की प्रक्रिया है। प्रशीतन का प्राथमिक उद्देश्य संलग्न स्थान या पदार्थ या वस्तु के तापमान को कम करना और फिर उस कम तापमान को बनाए रखना है।

ख) कोल्ड स्टोरेज:

पानी के हिमांक (-18C से -40C) से नीचे के तापमान पर सूक्ष्मजीवों और एंजाइम गतिविधि की वृद्धि न्यूनतम होती है। कई सूक्ष्म जीव इस उपचार से बच सकते हैं और सक्रिय हो सकते हैं जो भोजन को बाद में उच्च तापमान पर रखने पर भोजन को खराब कर सकते हैं। इसलिए जमे हुए खाद्य पदार्थों को हमेशा -5 डिग्री सेल्सियस से नीचे के तापमान पर रखा जाना चाहिए। कुछ सब्जियों में एंजाइम जल्दी जमने के बाद भी कार्य करना जारी रख सकते हैं और इसलिए सब्जियों के बुरे स्वाद के विकास को रोकने के लिए जमने से पहले उन्हें गर्मी (80 डिग्री सेल्सियस से ऊपर) उपचार दिया जाना चाहिए जिसे ब्लैंचिंग कहा जाता है। जमाव की दो विधियां है

  1. त्वरित जमाव (Quick Freezing): यदि तापमान में तेजी से कमी की जाती है जिसे त्वरित जमाव कहा जाता है और इन तापमानों पर रखे गए भोजन को कई महीनों तक संरक्षित किया जा सकता है। खाद्य पदार्थों को लगभग 90 मिनट या उससे कम समय में त्वरित रूप से जमाया जा सकता है (1) उन्हें कॉइल के संपर्क में रखकर जिसके माध्यम से ठंडा करने वाला पदार्थ बहता है (2) ब्लास्ट फ्रीजिंग जिसमें ठंडी हवा पूरे भोजन में प्रवाहित होती है, (3) तरल नाइट्रोजन में डुबो कर। त्वरित जमे हुए खाद्य पदार्थ पिघलने (कमरे के तापमान पर लाए जाते हैं) के बाद अपनी पहचान और ताजगी बनाए रखते हैं क्योंकि जब इन तरीकों से खाद्य पदार्थ जमे हुए होते हैं तो उनमें बहुत छोटे क्रिस्टल बनते हैं।
  2. धीमा जमाव (slow Freezing): इस विधि में त्वरित जमाव की तुलना में भोजन को धीमी गति से जमाया जाता है जिस कारण इसमें जमाव के दौरान भोजन की कौशिकाओं में बड़े क्रिस्टलों का निर्माण होता है जो इनकी झिल्लीयों को घायल कर देती है और पिघलने के बाद भोजन अपनी पहचान और ताजगी को खो देता हैं।

 

II संशोधित वातावरण भंडारण (MAS):

इस प्रणाली में उत्पाद को पैकेज, ओवर रैप, बॉक्स अस्तर या पेलेट कवर (pellet cover) द्वारा संशोधित वातावरण की स्थितियों में रखा जाता है। एमएएस में भंडारण वातावरण की संरचना को बारीकी से नियंत्रित नहीं किया जाता है अथार्त उत्पाद के तापमान को नियंत्रित किया जाता है परन्तु CO2 और O2 के स्तर में कोई बदलाव नहीं किया जाता है। संशोधित वातावरण भंडारण में कई प्रकार के संपूर्ण और न्यूनतम संसाधित फलों और सब्जियों को सफलतापूर्वक संग्रहीत किया जा सकता है।

 

III. नियंत्रित वातावरण भंडारण (CAS):

CAS की पहली आवश्यकता उत्पाद के चारों ओर पर्याप्त रूप से गैस टाइट लिफाफे हैं और दूसरी आवश्यकता वांछित स्तर पर CO2 और O2 की सांद्रता को बनाए रखने के कुछ साधन हैं। प्रशीतन (refrigeration) के साथ इस विधि ने फलों के भंडारण जीवन को उल्लेखनीय रूप से बढ़ाया। CAS में आम के भंडारण के लिए सबसे अच्छा वातावरण 5% CO2 और 5% O2 130 C पर है। CAS से सतही मोल्ड (superficial mould) की वृद्धि कम होने से अनानास फल के रूप में सुधार होता है। हरे केले के फलों को 1-10% O2, 5-10% CO2 या कम O2 और उच्च CO2 संयोजन के वातावरण में रखने से केले में पकने की शुरुआत में हफ्तों या महीनों तक देरी हो सकती है, सामान्य तौर पर, नींबू वर्गीय फलों की प्रतिक्रिया CAS में निराशाजनक रही है।

 

IV. हाइपोबैरिक (उप वातावरण) भंडारण (Hypobaric storage):

उत्पाद को वैक्यूम टाइट (1.3 to 13 kPa) और रेफ्रिजरेटेड कंटेनर में रखा जाता है और एक वैक्यूम पंप द्वारा   दबाव को वांछित कम किया जाता है। उत्पाद द्वारा दिए गए एथिलीन के निकासी से और श्वसन में कमी के कारण पकने और बुढ़ापा की प्रक्रिया बहुत मंद हो जाती है। यह एक महंगा तरीका है।