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परिभाषा, महत्व, विस्तार और सब्जी उत्पादन में समस्याएं
सब्जियों में बहुत से विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सिडेंट पाये जाते हैं। सब्जियों की अनुशंसित मात्रा के नियमित सेवन से मानव स्वास्थ्य रहता है। खनिज और विटामिन की कमी के कारण मानव शरीर में बहुत से विकार अथवा रोग हो जाते है जो सब्जियों के नियमित सेवन से खत्म हो जाते है । सब्जियाँ का कृषि विज्ञान में भी महत्वपूर्ण योगदान है इसलिए सब्जी विज्ञान का अध्ययन अवश्यक हो जाता है। सब्जी विज्ञान विषय को पूर्ण रूप से समझने के लिए सब्जियों की परिभाषा, उनका महत्व, विस्तार(Scope) और इनके उत्पादन मे आने वाली समस्याओं को जानना और भी आवश्यक है इस अध्याय में इसी विषय पर ध्यान केन्द्रित किया गया ।
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Vegetables:-
“Vegetables are defined as edible herbaceous plants/plant parts consumed as raw or after cooking and rich in vitamins and minerals low in calorific value”.
Olericulture:– olericulture शब्द लेटिन भाषा के दो शब्दों से मिलकर बना है ‘oleri’ शब्द लेटिन के ‘olus’ या ‘holus’ से लिया गया है जिसका अर्थ सब्जी से तथा ‘culture’ का अर्थ उत्पादन (cultivation) से है। इसीलिए olericulture उद्यान विज्ञान की वह शाखा है जिसमें शाकोउत्पादन का अध्ययन किया जाता है।
सब्जियों के महत्व:-
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सब्जियां आधारभूत तथा रक्षक तत्वों से भरपूर होती है (Rich source of basic and protective elements):-
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- सब्जियों में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, खनिज, विटामिन आदि पाए जाते है सब्जियां शरीर में पाचन के समय पैदा होने वाली अम्लीयता को खत्म करती है तथा क्षरीयता पैदा करती है। विटामिन शारीरिक दृष्टि से होने प्रभावों को खत्म करते है।
- शरीर की उचित विकास के लिए 10 खनिज तथा कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन जरूरी होते है।
Table 1: Nutrient, source and deficiency symptoms of vegetables.
Sr. No. | Type of mineral/ vitamin & their role (खनिज/ विटामिन तथा भूमिका) | Name of the vegetables (सब्जी का नाम) | Deficiency symptoms (कमी के लक्षण) |
1. | Carbohydrates: ऊर्जा देना (Provide energy) | Tuber vegetables ie., potato, sweet potato, tapioca, and yams. | विकास में कमी (Retarded growth) |
2. | Proteins: आमीनो अम्लों का निर्माण (Made up of amino acids), शरीर का विकास तथा क्षतिपूर्ति (growth and repair of the body) | Immature seeds of lima bean, broad bean, peas, garlic, onion, etc. | शरीर का तथा मस्तिष्क का कम विकास (Retarded growth, retarded mental development), त्वचा पर धब्बे (discolorationof skin), टाँग और पाँव में सूजन (swelling of leg and feet) |
3. | Calcium: हाड़ियों दांतों तथा खून के थक्का बनने में सहायक (Important for bones, teeth, blood clotting), प्रतिरोग़क शक्ति को बड़ाता है (resistance against infection) | Amaranthus, cauliflower, drumstick leaves, lettuce, methi, carrot, onion, turnip, green peas, tomato, coriander, spinach, cabbage. | जलन (Irritability), हाड़ियों का कमजोर होना (bone weakness). |
4. | Iron: लाल रुधिर कणिकाओ का मुख्य भाग (Essential part of red blood corpuscles). | Moringa-leaves, amaranthus, methi, mint, coriander, drumstick, spinach. | अनिमिया (Anemia), जीभ तथा होंठों का पीला होना (pale smooth tongue, pale lips). |
5. | Phosphorus: कोशिका गुणन (Cell multiplication), ऊतकों में लिपिड रख रखाव (proper maintenance of liquid content in the tissue), कार्बोहाइड्रेट के ऑक्सीकरण में भूमिका (role in the oxidation of carbohydrates ) | Potato, carrot, tomato, cucumber, spinach, cauliflower, lettuce, onion. | विकास में कमी (Retarded growth) |
6. | Vitamin A: Provides general health | Carrot, spinach, palak, leafy vegetables, sweet potato (yellow), pumpkin (yellow). | Night blindness (रतौंधी), Respiratory infections (शवसन संक्रमण), formation of stones in the kidney (गुर्दे की पथरी), rough skin (खुरदरी त्वचा), growth in children retarded (बच्चों के विकास में कमी) |
7. | Vitamin B complex: a) Thiamin (B1) b) Riboflavin(B2) c) Niacin (B5) d) Pyridoxin(B6) |
Peas, broad bean, lima bean, garlic, asparagus, corns, tomatoes | a) Beriberi: loss of appetite (पाचन में कमी) b) Red coloured mouth cracks in the mouth (मुह पर लाल रंग की दरारे आ जाना) c) Sore tongue, pellagra (जुबान का खटापन) d) Ulcer |
8. | Vitamin C: विकास तथा बीमारियों के प्रति resistance पैदा करता है (Essential for growth and resistance against diseases). | Turnip, green chili, brussels sprout, mustard, green leafy vegetables, cole crops, bitter gourd, radish | स्कर्वी (Scurvy), दांतों से खून (bleeding gums), ऊर्जा में कमी (loss of energy), घाव भरने मे देरी (delay in wound healing) |
9. | Vitamin D: हाड़ियों तथा दांतों के लिए जरूरी है (Essential for bone and teeth) | Green leafy vegetables | हाड़ियाँ तथा दांत कमजोर हो जाते है (Bone and teeth weakness). |
10. | Vitamin E: बंध्यतारोधक और जनन में सहायक (Antisterility and essential for reproduction) | Cabbage, lettuce, methi, spinach, and vegetable oils | प्रजनन की क्षमता को प्रभावित होती है (Fertility is affected) |
11. | Cellulose and fiber: पाचन को बड़ाता है कब्ज नहीं होने देता (add digestion and prevent constipation) | Leafy vegetables (Cabbage, Spinach, Lettuce), most root crops | पाचन में कमी तथा कब्ज की समस्या (Indigestion and constipation) |
2. प्रति यूनिट क्षेत्र से अधिक उपज (More yield per unit area)
सब्जियां केवल पोष्टीक ही नहीं होती अपितु इनसेदूसरी फसलों की तुलना में प्रति एकड़ उपज भी अधिक मिलती है। नीचे टेबल में कुछ फसलों की उपज दी गई है :-
Table 2: सब्जियों तथा अनाजों की उपज की तुलना
Sr.No. | Crops | Average yield/ha in quintals |
1 | Wheat (गेहूं) | 20-25 |
2 | Paddy (धान) | 25-30 |
3 | Potato (आलू) | 150-200 |
4 | Cauliflower (फूलगोभी) | 125-175 |
5 | Watermelon (तरबूज) | 200-225 |
3. प्रतिदिन प्रति यूनिट अधिक नेट रिटर्न (More net returns per unit area per day)
सब्जियां जल्दी पकने वाली होती है बुआई के थोड़े समय बाद ही income देने लग जाती है इसीलिए सब्जियों की प्रतिदिन की कमाई अधिक होती है तथा अंतर – फसल से ओर भी फायदा लिया जा सकता है ।
4. Agro forestry में भूमिका (Role in Agro forestry)
बहुत सी सब्जियां पेड़ों के मध्य खाली जमीन में उगाई जा सकती है वर्तमान में बहुत से पेड़ों की cultivation इमारती लकड़ी के लिए की जाती है इन पेड़ों की शुरुआती आयु में इन के मध्य सब्जियां उगा कर अतिरिक्त आमदनी ली जा सकती है सब्जियां जैसे हल्दी, अदरक, बेंगन आदि।
5. प्रति एकड़ अधिक रोजगार देती है ( Employment of great number of man power per unit area)
सब्जियों की संघन खेती के कारण ये अधिक रोजगार पैदा करती है । सब्जियों में प्रतिदिन तुड़ाई, निराई गुड़ाई, पौध सरंक्षण, सहारा देने, सिंचाई करने के लिए man power की आवश्यकता होती है इसके अतिरिक्त प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज़ में भी अधिक श्रमिकों की आवश्यकता होती है
6. अंतर फसल के लिए उपयुक्तता जिसके परिणामस्वरूप अधिक cropping intensity मिलती है (Suitability for inter cropping resulting in greater intensity of cropping:
सब्जियों को साल भर बहुवर्षीय पेड़ों के उद्यान में अंतर फसल के रूप में लगाया जा सकता है तथा सब्जियों का जीवन कल छोटा होने के कारण साल में दो से अधिक फसले ली जा सकती है। जिससे क्रापिंग intensity बड़ जाती है ।
7. उत्पादन कार्यक्रम में लचीलापन (Flexibility in production Programme):
फसलों को लाभ के अनुसार change किया जा सकता है अगर किसी फसल से लाभ कम हो रहा हो तो सब्जी वाली फसल कम अवधि की होने के कारण बदल कर बोई जा सकती है। जबकि दूसरी फसलों के साथ ऐसा नहीं किया जा सकता है क्योंकि वो लम्बी अवधि की होती हैं ।
8. सब्जियों का कलात्मक/ सौंदर्य मूल्य (Aesthetic value of vegetables)
घर में सब्जियों का उद्यान लगाया जाए तो घर की सुंदरता बड़ जाती है तथा घर के सदस्य अपने आप को बागवानी से जोड़ कर खुशी प्राप्त कर सकते है, घर के बच्चों को सब्जियों की cultivation से जोड़ कर उनके ज्ञान को बड़ाया जा सकता है जिस से घर के खर्च तो कम होंगे साथ ही घर की स्त्रियां अपने खाली समय का उपयोग सब्जी उगाने में कर सकती है ।
सब्जी उत्पादन का विस्तार (Scope of Vegetable production)
- सब्जी उत्पादन में चीन का प्रथम स्थान है और भारत दूसरे नंबर पर आता है
- NHB (2021-22) के अनुसार, भारत में पिछले कुछ वर्षों में बागवानी उत्पादन में वृद्धि देखी गई है। क्षेत्र विस्तार में उल्लेखनीय प्रगति हुई है जिसके परिणामस्वरूप अधिक उत्पादन हुआ है। 2021-22 के दौरान, 28.75 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र से बागवानी फसलों का उत्पादन 33 मिलियन टन था। सब्जियों का उत्पादन 2004-05 से 2021-22 तक 101.2 मिलियन टन से बढ़कर 204.84 मिलियन टन हो गया है। सब्जियों की खेती का क्षेत्रफल 11.35 मिलियन हेक्टेयर था (NHB 2021-22)
- FAO (2021) के अनुसार, भारत सब्जियों में अदरक और भिंडी का सबसे बड़ा उत्पादक है और आलू, प्याज, फूलगोभी, बैंगन, पत्तागोभी आदि के उत्पादन में दूसरे स्थान पर है।
- यही विशाल उत्पादन आधार भारत को निर्यात के लिए जबरदस्त अवसर प्रदान करता है। 2022-23 के दौरान, भारत ने रुपये 30 करोड़/ 1635.95 अमेरिकी डॉलर मिलियन के ताजे फल और सब्जियों का निर्यात किया। जिसमें सब्जियां जिनकी कीमत रु. 6,965.83 करोड़/ 865.24 अमेरिकी डॉलर मिलियन थी।
- प्याज, मिश्रित सब्जियां, आलू, टमाटर और हरी मिर्च सब्जी निर्यात टोकरी में बड़े पैमाने पर योगदान करती हैं।
- भारत विश्व के सब्जी उत्पादन का 13.38% पैदा करता है ।
- सब्जियां पूरे agriculture land के 2.8% क्षेत्र में पैदा होती है।
- क्षेत्र तथा उत्पादन में वेस्ट बंगाल का पहला स्थान है इसके बाद यूपी और बिहार का स्थान है ।
- ICMR के अनुसार एक स्वस्थ व्यक्ति को प्रति दिन 300 ग्राम सब्जियों का सेवन करना चाहिए। परंतु वर्तमान में 145 ग्राम / दिन सब्जियां उपलब्ध है । जो की काफी कम है ।
Table 3: Production of vegetables in leading states of India (2018- 19)
States | Area ( 000’ ha) | Production (000’ tonnes) |
Uttar Pradesh | 1256.27 IInd | 27703.82 IInd |
West Bengal | 1490.39 Ist | 29545.23 Ist |
Bihar | 872.55 IIIrd | 16699.84 IIIrd |
Orissa | 613.62 | 8466.17 |
Tamil Nadu | 235.77 | 6082.54 |
Gujarat | 626.26 | 12552.15 IVth |
Karnataka | 430.925 | 7044.888 |
Maharashtra | 649.79 IVth | 11283.23 |
Andra Pradesh | 259.83 | 7091.37 |
Punjab | 249.32 | 5207.36 |
Rajasathan | 178.01 | 2047.13 |
All India Total | 10099.82 | 185883.22 |
- सब्जियां का देश की अर्थव्यवस्था में महतपूर्ण योगदान है देश के हजारों किसान, बिजनस मेन (marketing) और उद्योग (बीज, उर्वरक, कीट नाशक, शाक नाशक यांत्रिक उपकरण वाले आदि ) सब्जियों पर ही निर्भर है ।
- भारत की भौगोलिक दशा अलग अलग होने के कारण सब्जियों के उत्पादन के लिए अनुकूल रहती है जिस से सब्जियों के बीज उत्पादन तथा ताजी सब्जी उत्पादन की असीम संभावनाएँ है। 2006-07 में भारत से 430.2 करोड़ की सब्जियों का निर्यात किया गया था जिसमें से 75% प्याज निर्यात किए गए इस के अतिरिक्त
- आलू, भिंडी, करेला, मिर्च आदि का भी निर्यात किया जाता है ।
Production Share of various Horticulture crops (in %)
- भारत में 2017 -18 में सब्जियों का क्षेत्र 10.26 मिलियन हेक्टर और उत्पादन 184.40 मिलियन टन था नीचे दिए गए ग्राफ में 2017-18 में विभिन राज्यों में सब्जी उत्पादन का शेयर प्रदर्शित किया गया है :-
- मुख्य सब्जियों के अतिरिक्त दूसरी सब्जियां जैसे शतावर, सेलेरी, शिमला मिर्च, स्वीट कॉर्न, मटर, राजमा आदि का भी निर्यात किया जा रहा है परंतु इन पर अभी ध्यान देने की आवश्यकता है कॉल क्रॉप्स तथा जड़ वाली सब्जियों की ठंडे देशों में बहुत मांग है क्योंकि वहाँ इन के उत्पादन की लागत अधिक होती है इन सब्जियों को वहाँ ग्लास हाउस में या ग्रीन हाउस में उगाया जाता है। भारतीय सब्जियों की यूरोप तथा उतरी अमेरिका जैसे देशों में बहुत मांग है जिस के कारण सब्जी उत्पादन की असीम संभावनाएँ है
भारत में सब्जी उत्पादन में समस्याएं और संभावनाएँ (Problems and prospects of vegetable production in India)
भारतीय सब्जी में लिप्त उद्योग तेजी से विकास कर रहे है । फिर भी बहुत सी समस्याएं है जो निम्न प्रकार से है :
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सब्जियां जल्दी खराब होने वाली होती है (Vegetables are highly perishable):
ताजी सब्जियां जीवों के जैसी ही होती है इनमें तुड़ाई के बाद भी क्रियाएँ चलती रहती है वे श्वसन करती है, इनमें से पानी की कमी उत्सर्जन से होती है, इनमें दूसरे रासायनिक परिवर्तन होते रहते है । सब्जियां तापमान, अधिक अद्रता के कारण भी खराब हो जाती है । पत्तेदार सब्जियां tuber और जड़ वाली फसलों से जल्दी खराब हो जाती है । हमारे देश में हर वर्ष हजारों टन सब्जियां उचित रखरखाव के बिना खराब हो जाती है ।
2. सब्जियों के पोषक मूल्य को अनदेखा करना (Ignorance on nutritive value of vegetables):
बहुत से लोगों को सब्जियों के पोषक तत्वों के बारे में ज्ञान ही नहीं होता जिस से वो सब्जियों को अनदेखा कर देते है देश की ज्यादातर लोग गावों में रहते है और कम पढ़े लिखे है उन्हे सब्जियों में पाए जाने वाले विटामिन तथा खनिजों के बारे में पता ही नहीं है और वो सब्जी को उपयोग ही नहीं करती और ना ही इसका उत्पादन करते है।
3. अशिक्षा तथा वैज्ञानिक खेती के तकनीकी ज्ञान की कमी (Illiteracy and lack of technical knowledge of scientific cultivation):
सब्जियों की वैज्ञानिक खेती की कोई भी किताब किसानों के लिए उपलब्ध नहीं है जिसे की पर्याप्त माना जा सके । क्योंकि बिना किसी literature के किसी क्षेत्र विशेष के लिए किस्मों का चुनाव करना, रोगों और कीटों का नियंत्रण करना, अधिक उपज प्राप्त की विधियों का पता करना पाना मुश्किल होता है । परन्तु वर्तमान में ICAR New Delhi, CFTRI Mysore और स्टेट ऐग्रिकल्चर यूनिवर्सिटी सब्जियों की वैज्ञानिक खेती और नई तकनीकी के ऊपर किताबें, जरनल , पत्रिकाएँ प्रकाशित कर रही है पर वो अभी भी किसानों की पहुँच से बाहर है ।
4. परिवहन सुविधाओं की कमी (Lack of transportation facility):
कम खर्च पर खराब होने वाली सब्जियों की समय पर तथा तेजी से पहुँच बहुत जरूरी होती है परन्तु बहुत से क्षेत्रों में अभी भी उपज के परिवहन की उचित व्यवस्था नहीं है जिस से उत्पाद रास्ते में ही खराब हो जाता है । कई गाँव आज भी सड़क मार्ग से नहीं जुड़े जिस से सब्जियां समय पर ट्रांसपोर्ट नहीं हो पाती ।
5. पर्याप्त संग्रहण की व्यवस्था न होना (Lack of enough storage facilities):
सब्जियों को अगर सही तापमान और अद्रता पर भंडारित किया जाए तो सब्जियां लंबे समय तक उपयोग की जा सकती है परन्तु भारत में यह सुविधा केवल बड़े शहरों तक ही सीमित है वो भी अधिक मंहगी है। जिस का खर्च किसान वहन नहीं कर सकता। जिस से किसान का की पैदावार खराब हो जाती है या फिर उसे कम मूल्य में बेचनी पड़ती है।
6. समय पर उचित मात्रा में क्वालिटी बीज का न मिल पाना (Non availability of sufficient quantity of quality seed in time):
भारत में बीज उत्पादन ज्यादातर प्राइवेट एजेन्सीस के पास है जिस से अगेती और पछेती सब्जियों का बीज समय पर किसनों तक नहीं पहुँच पाते । प्राइवेट एजेन्सीस के कारण गुणवता का भी संदेह रहता है । राष्ट्रीय बीज निगम, नई दिल्ली कुछ सब्जियों का हाइब्रिड बीज तैयार कर सीधा अथवा ब्रांचों के माध्यम से सब्जी उत्पादकों तक पहुँचा रहा है परन्तु जो पर्याप्त नहीं है ।
7. विपणन में दुराचार (Malpractice in marketing):
विपणन की प्रक्रिया सब्जियों की तुड़ाई के साथ ही शुरू हो जाती है और क्रेता के पास पहुँचने तक रहती है विपणन का मुख्य उद्देश्य उत्पाद का उचित मूल्य पर क्रेता तक पहुंचाना है। परन्तु आज कल विचोलिए अधिक होने के कारण उत्पाद का उचित मूल्य किसान या सब्जी उत्पादक को नहीं मिल पाता और ना ही क्रेता को उचित मूल्य पर मिलता है । और विचोलिया मोटी कमाई कर जाता है।
8. कीट, बीमारियों तथा खरपतवार की समस्या (Problem of Insect pests, diseases and weeds):
सब्जियां अधिक नाजुक प्रकृती की होती है जिस से इस पर कीटों, बीमारियों का प्रकोप फल वाली फसलों तथा अनाजों से अधिक होता है ।
9. सिंचाई व्यवस्था की कमी (Lack of irrigation facilities):
सब्जियों में हल्की और निरंतर सिंचाई की आवश्यकता होती है परन्तु कुछ क्षेत्रों में गर्मी के समय सिंचाई की उचित व्यवस्था नहीं होती है । कुछ बहु वर्षीय तथा लंबी अवधि की फसलें तभी होती है जब सिंचाई की उचित व्यवस्था हो ।
10. अनुसंधान, तकनीकी मार्गदर्शन, और पूंजी की कमी (Lack of research, technical guidance and sufficient capital):
1970 से पहले कोई co-ordinated scheme देश में नहीं चल रही थी वर्तमान में पूरे देश में बहुत से coordinated projects अलग अलग सब्जियों पर चल रहे है परन्तु देश में सब्जी उत्पादक अभी तक इतना विकसित नहीं हुआ है की वो आधुनिक तरीके से खेती करने के खर्च को वहन कर सके। जिस से उत्पादन और उत्पाद की गुणवता बड़ सके ।