वानस्पतिक नाम : Citrullus lanatus Thunb.
कुल: Cucurbitaceae
गुणसूत्र संख्या: 2n=22
जन्म स्थल: Tropical Africa
महत्वपूर्ण बिन्दु (Importance Points)
- तरबूज climacteric सब्जी है ।
- तरबूज में विषैला पदार्थ (Toxic substance) सेरोटोनिन (Serotonin) पाया जाता है।
- Anthocyanin और Lycopene नामक दो रंग वर्णक पाये जाते है ।
- तरबूज में कड़वाहट cucurbitacin (Tetracyclic titerpenes) की उपस्थिती के कारण होती है
- Arka Manik – बहुरोग रोधी किस्म है तथा लंबी दूरी तक ट्रांसपोर्ट के लिए भी उत्तम किस्म है ।
- तरबूज में मध्य भाग मे White heart होने से फल की गुणवता कम हो जाती है ।
- पके फल का TSS लगभग 8 – 13% होता है।
क्षेत्रफल और उत्पादन (Area and production)
Sr. No. | States | 2016-17 | 2017-18 | ||
Area (000’ hac) | Production (000’ MT) | Area (000’ hac) | Prodcution (000’ MT) | ||
1 | West Bengal | 16.55 | 230.11 | 16.60 | 234.30 |
2 | Uttar Pradesh | 13.67 | 616.25 | 13.74 | 619.65 |
3 | Andhra Pradesh | 6.88 | 206.49 | 11.02 | 360.08 |
4 | Odisha | 11.73 | 226.81 | 11.73 | 226.98 |
5 | Karnataka | 10.26 | 343.72 | 10.18 | 336.85 |
6. | Rajasthan | 2.52 | 23.61 | 2.01 | 19.50 |
7 | Other states | 28.97 | 534.65 | 35.08 | 722.74 |
Total | 90.93 | 2181.64 | 101.08 | 2520.10 |
Source:- NHB 2018
आर्थिक महत्व (Economic importance)
- तरबूज मे 95 % पानी,2% प्रोटीन, 0.3% मिनरल, 3.3 % कार्ब्स और 160 mg पोटेशिम प्रति 100 gm के हिसाब से पाई जाती है ।
- बीज की गिरी का उपयोग विभिन्न मिठाइयों और अन्य स्वादिष्ट व्यंजनों में भी किया जाता है।
- भारत के कुछ हिस्सों में कच्चे फलों को सब्जी के रूप में पकाया जाता है। पके फल का मीठा, रसदार गूदा पूरे उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में खाया जाता है।
- फल में शीतलन प्रभाव होता है और इसे एक कफ नाशक (expectorant), मूत्रवर्धक और पेट से संबन्धित रोगो में उपयोगी होता है और प्यास को नष्ट करने वाला होता है
Varieties
- Introduction: –
Improved Shipper | New Hemisphire Midget | Furken |
Asahi Yamato | Sugar Baby -12-13% TSS | Dixie Cream |
2. Selection: –
Durgapura Kesar – Yellow pulp
Durgapura Meetha
Pusa Rasal
3. Hybrids: –
Madhur
Milan
Arka Akash
Pusa Bedana (Triploid) – Tetra-2 X Pusa Rasal (Seedless Variety) (Developed by Dr. Kihara)
Arka Jyoti – IIHR 20 X Crimson Sweet (released by IIHR, Bangalore)
Arka Manik – IIHR X Crimson Sweet (released by IIHR, Bangalore)
4. Other Varieties: –
Arka Muthu
Arka Aiswarya
Special No.1
Arka Madhura
PKM 1
Crimson Sweet
जलवायु (Climate)
तरबूज को लंबे गर्म मौसम की जिसमें अच्छी धूप खिली रहे आवश्यकता होती है। जो फल की उच्च गुणवता के लिए आवश्यक होती है। फलों के विकास के दौरान खरबूजे को उष्णकटिबंधीय जलवायु और 35-400C के उच्च तापमान की आवश्यकता होती है। बीज 210C से नीचे अंकुरित नहीं होता है।
मिट्टी (Soil)
हल्की मिट्टी जो गर्मी मे जल्दी गर्म हो जाती है अगेती फसल के लिए उपयोगी होती है परंतु गहरी बलुई दोमट मिट्टी जिसका pH 5.5 से 7.0 हो उत्तम रहती है
मौसम (Season)
यूपी और दिल्ली क्षेत्रों में जनवरी-फरवरी के महीनों को बुवाई के लिए पसंद किया जाता है लेकिन फलों की परिपक्वता और पकने के समय उच्च तापमान होना चाहिए जिससे मिठास बढ़ जाती है।
मध्य भारत में बुवाई फरवरी से मार्च के अंत तक और मध्य जुलाई तक की जाती है
खेत की तैयारी (Preparation of field)
खेत की 3 से 4 बार जुताई करनी चाहिये जिस से मिट्टी भुरभरी हो जाए और अच्छी क्यारियाँ तैयार हो सके।
बीज दर (Seed Rate)
तरबूज की 2.5 से 3.5 Kg / हेक्टर बीज की आवश्यकता होती है
बुआई (Sowing)
बीजों को साधारण क्यारियों में या उठी हुई क्यारियों में दोनों ओर या गड्ढों में बोया जा सकता है। बीजों को 4X1m की दूरी पर या 3X3m की दूरी पर गड्ढों में 2.5 से 5.0 सेंटीमीटर गहरे बोये जाते हैं। हर गड्ढे में 3-4 बीज बोए जाते हैं।
कुछ क्षेत्रों में जहां अगेती फसल ली जाती है, उन क्षेत्रों में बीजों को 100-200 गेज के पॉलीथिन बैग (10X15 सेमी) में बोया जा सकता है और उन्हें कम तापमान से बचा कर अंकुरित किया जाता है और फिर 2 पत्ती की अवस्था में खेत में प्रत्यारोपित किया जाता है।
काँट छाँट (Pruning)
अगर लता की 3 से 4 शाखाओं को छोड़ कर दूसरी को हटा दिया जाता है जिस से फलों की गुणवता और उपज में वृद्धि होती है।
विरलीकर्ण (Thinning)
प्रत्येक लता पर 3 से 4 फलों को छोड़ कर दूसरे फलों को हटा दिया जाता है जिस से फलों का आकार और गुणवता में वृद्धि होती है।
खाद और उर्वरक (manures and Fertilizers)
खाद और उर्वरकों का तरबूज की फसल पर अच्छा प्रभाव होता है नीचे सारणी में कुछ राज्यों की अनुशंसित मात्रा लिखी हुई है
States | N (kg/ha) | P (kg/ha) | K (kg/ha) |
Punjab | 62 | 40 | 40 |
Haryana | 50 | 25 | 25 |
Madhya Pradesh | 100 | 50 | 50 |
Rajasthan | 80 | 40 | 40 |
उपरोक्त उर्वरकों के साथ 1200 kg से 1400 kg गोबर की खाद अंतिम जुताई के समय खेत में डालनी चाहिए । अंतिम जुताई में फास्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा और नाइट्रोजन की आधी मात्रा को मिट्टी में मिलना चाहिए। और शेष नाइट्रोजन को 30 से 35 दिन बाद टॉप ड्रेसिंग के रूप में देना लाभदायक रहता है
सिंचाई (Irrigation)
बसंत और गर्मी के मौसम में तरबूज की फसल को अधिक सिंचाइयों की आवश्यकता होती है परन्तु खेत में पानी भरा नहीं रहना चाहिए अच्छी जल निकासी की व्यवस्था होनी चाहिए। बरसात के मौसम की फसल की आवश्यकता अनुसार सिंचाई करनी चाहिए। सामान्यतः गर्मी की फसल में 3 से 5 दिनों से अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए।
खरपतवार नियंत्रण (Weed Control)
नाइट्रोजन उर्वरकों के साथ टॉप ड्रेसिंग के समय, जब बेलें फैलने लगती हैं तो निराई और गुड़ाई की जाती है। तरबूज के सफल विकास के लिए, खेत को खरपतवारों से मुक्त रखा जाता है। फसल के शुरुआती चरण के दौरान, क्यारियों, नालियों आदि को खरपतवारों से मुक्त रखने की आवश्यकता होती है। तरबूज की फसल में खरपतवार नाशी का उपयोग भी लाभदायक होता है जैसे सिमाज़ीन, ब्यूटाक्लोर, डाइक्लोरेमेट आदि।
वृद्धि नियामकों का उपयोग (Use of Growth regulators)
Sr. No | PGR | Doses | Effective |
1 | TIBA | 25-250ppm | Increase fruiting and yield |
2 | GA3 | 25-50ppm | Increase yield |
3 | Ethrel | 500ppm | Increase Yield |
4 | MH | 100ppm | Increase fruiting and yield |
5 | NAA | 200ppm | Increase fruiting and yield |
ये सभी वृद्धि नियामकों का छिड़काव फसल की 2 पत्ती की अवस्था और दूसरा छिड़काव 4 पत्ती की अवस्था पर करना लाभदायक रहता है।
तुड़ाई (Harvesting)
फलों को पूर्ण परिपक्कव अवस्था पर ही तोड़ा जाता है । सामान्यतः फसल पुष्पन के 40 से 45 दिन बाद अथवा बुआई से 90 से 120 दिन बाद तुड़ाई के लिए तैयार होती है
परिपक्वता सूचकांक (Maturity Indices)
- फल पक जाने पर अगर उसे बजा कर देखा जाए तो भारी आवाज आती है जबकि कच्चे फलों से मेटेलिक (metallic) आवाज आती है ।
- तरबूज के फल अक्ष के प्रताण (Tendril) गलने शुरू हो जाते है।
- फल का जमीन को छूने वाला हिस्से पर सफेद धब्बा बन जाता है जो पकने के समय पीले रंग का हो जाता है ।
- फल के छिलके को देख कर भी परिपक्वता निर्धारीत की जा सकती है।
- परिपक्व फल का TSS 9 -12 % के आस पास होता है ।
उपज (Yield)
तरबूज की लगभग 200 से 250 किवंटल प्रति हेक्टर तक उपज मिल जाती है और संकर किस्मों से लगभग 300 किवंटल तक।
Watch Lecture Video
Other lecture Videos of HORT 211 click on link